Friday, August 22, 2014

दिए हौसले के



हयाते गुमशुदा ने फिर    पुकारा मुझे अभी

फिरना  है दर बदर और ,आवारा मुझे अभी

जिस्म में बाकी है जां    रूह अभी जिंदा है

लज्जते गम से होने दे  आश्कारा मुझे अभी

राख होने न पाए     , आतिशाकुदह  सारे

सुलगाना है हर बुझता     शरारा मुझे अभी

चाहे लाख हो कोशिश ,मिटने दूंगा न उम्मीदे

ज़वाल जिंदगी का ऐसा, नहीं गवारा मुझे अभी

जलाए रखो दिए हौसले के ,दिल   में   अभी

तारीकियों से मिला है ये ,इक इशारा मुझे अभी




Sunday, July 6, 2014

मंज़िल थी बेनिशाँ

वही ज़िस्तेंसोराब है वही तिश्ना कारवाँ
प्यास बुझी कभी न बदला कभी समां
सफर था सब्रतलब हमराही थे नातवाँ
ठेस लगी ज़रा और सभी घबरा गए यहाँ
गुमनाम रास्ते थे , मंज़िल थी बेनिशाँ
जोशी जुनूँ में भटकते रहे जाने कहाँ कहाँ
ख्वाहिशें बेहिसाब थी , कविशें थी कम
शायद इसलिए ही नामुकम्मल रहा जहाँ
जावेद उस्मानी
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Monday, March 30, 2009

आर्थिक मंदी और जी - २०

संसार भर मे आर्थिक मंदी की चर्चा जोरो पर हैं अभी तक राम - वाण के रूप मे जो उपाय हुए हैं उनके नतीजे संतोष जनक इसलिए नही लगे क्योकि दुनिया के अमीरों को वे रास नही आयें हैं पूंजीवादी संसार उपायों को नापसंद नही कर रहा हैं पर उससे सहमत भी नही हैं पैसा अपनी जो कीमत लगा रहा हैं वह सरकारों और उभोक्ताओ को स्वीकार्य नही हैं क्योकि इतनी कीमत चुकाने का अर्थ एक नए सामाजिक और आर्थिक असंतुलन को जन्म देना होगा जिसके लिए बाकी दुनिया तैयार नही हैं दूसरी ओर सारे फायदे के बाद भी दूसरो की कमाई मुफ्त मे हड़प लेने के फिराक मे लगे पूजी - जगत , अपने ऊपर दुनिया को और आश्रित बनाने के लिए , दुनिया की अन्य व्यवस्था को कंगाल बनने का संकल्प किए बैठा लग रहा हैं इसलिए हर बार अपनी लाचारी का रोना रो कर दुनिया की सहानभूति अपने पक्ष मे करने के लिए कोई कसर बाकी नही छोड़ रहा हैं और अपने मकसद को कामयाब बनाने के लिए अपनी नाकामयाबी का डर दिखा कर शेष दुनिया के सामने एक ऐसी तस्वीर रखने की कोशिश कर का रहा हैं की उसके बिना आर्थिक जगत विकल्प हीन हैं . आर्थिक मंदी का भय दिखाकर , आर्थिक विकास को यथावत बनाए रखने के लिए , आर्थिक रूप से सशक्त देशो मे जिस तरह से जन-धन का उपयोग का उपयोग सरामायेदारों के पक्ष मे किया गया हैं उतनी पूंजी से कई देशो की गरीबी और भूखमरी मिट सकती थी ।
जी २० की लन्दन बैठक भी दुनिया की कुल पूंजी का ८६% हिस्सा पर काबिज मुल्को की महफ़िल हैं जहा दौलत की रंगीनियों मे मदहोश दुनिया अमीरी के अगुवा देश आर्थिक मंदी से निकालने की राह निकालने की कोशिश करेगे वैसे यहाँ यह याद करना लाज़मी हैं कि जैसे - जैसे जी ग्रुप के देशो से सबध्द देशो की संख्या बढ़ रही हैं वैसे - वैसे दुनिया मे आर्थिक असमानता की खाई चौड़ी होती जा रही हैं दुनिया के चाँद पर भले पड़े गए हो पर दुनिया की खूबसूरती को एक तरीके से स्थायी ग्रहण लग चुका हैं .दुनिया भले ही राहत की आस लगाये बैठी हो पर वहा जो तय होना हैं वह एकदम साफ़ हैं कि अमीर और अमीरी कैसे बनाये रखी जाये . और इस एकसूत्रीय एजेंडे से संसार तो दूर जी - २० के देशो के गरीबो का भी भला नही होना हैं । क्योकि अतीत गवाह हैं जब भी दुनिया की अमीरी के बादशाह एक जूट हुए हैं गरीबो का संकट बढ़ा ही हैं अगर उदारीकरण , वैश्वीकरण , विश्वव्यापार समझौता , मुक्त - व्यापार की संधियों और विश्व बैंक ,अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के कर्ज से तरक्की हुई होती तो आर्थिक -मंदी आयी कहा से हैं ?और हालत यहाँ तक कैसे जा पहुचे जब , एक देश को चावल - गोदामों पर छापे तक डालने पड़ गए, ताकि पूंजी के दंश से नागरिको को बचाया जा सके , इतना ही नही जिस तरह से १९९९ के बाद से दुनिया के गरीबो के जीवन - स्तर मे गिरावट आयी हैं वह भी बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देती हैं सच्चाई तो यह हैं कि , गरीब चाहे कही के भी हो किसी भी देश के हो ,किसी भी मजहब को मानने वाले हो दुनिया की खुशिया तेजी के साथ उनके हाथो से निकलती जा रही हैं.
जी २० के देश अगर अपने और अमीरी के हितों से ऊचे उठकर , गरीबी की ओर भी उसी दृष्टि से देखे जिससे अपनी दुनिया देखते हैं तो निश्चित रूप से दुनिया मे वह बदलाव आ सकेगा कि दुनिया सचमुच अन्तरिक्ष की सबसे हसीन और सबसे रंगीन दुनिया बन जायेगी .

Sunday, March 8, 2009

अमेरीकी चुनाव २००८ और नयी दिशाए

अमेरीका के सदर की उम्मीदवारी के चुनाव मे , नारी हार गयी और मर्द जीत गया . अमेरीका की पूर्व प्रथम महिला श्रीमती " हिलेरी " बहुत जोरदार संघर्ष के बाद , श्री " ओबामा " से पराजित हुई और इसी के साथ ही दो दलों रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के बीच हार - जीत के लिए आँख - मिचौली की रंगीन जंग शुरू हो गयी , इस बार बहुत सारे राष्ट्रीय - अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के साथ , जमीनी स्तर पर " नर और नारी " की तर्ज मे बहस इस बात के लिए भी थी कि , अमेरीकी सदर का चुनाव " काला " जीतेगा या "गोरा " ? और अमेरीकी सदर चुनाव २००८ के नतीजे से साफ़ तौर से बता दिया कि , लोगो की पसंद , परिवर्तन हैं , जो केवल सत्ता परिवर्तन तक नही सिमित हैं , बल्की लोग सामाजिक बदलाव भी चाहते हैं .२००८ के चुनाव मे , तमाम ऐसी बातें हुई जो पहले कभी नही हुई थी , और सारी चीजो ने मिलकर अमेरीकी सदर का चुनाव २००८ को इतिहास का एक अमर चुनाव बना दिया हैं ।
वियतनाम जंग के अमेरीकी हीरो श्री " जान मैकन " की हार और " ओबामा " की शानदार जीत से ज्यादा दिलचस्प जंग , डेमोक्रेटिक पार्टी के अन्दर चली राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी चुनाव की जंग रही इसमे दो राय नही हैं .उसके रोमांच के आगे , रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के बीच चला मुकाबला हर लिहाज़ से फीका साबित हुआ . चुनाव के दोनों धारदार मुद्दे -- " रंग और नारी " डेमोक्रेटों के पास थे और डेमोक्रेट इसका इस्तेमाल भी असरदार तरीके से करने मे कामयाब रहे . पर इसके साथ , अमेरीकी सदर के चुनाव २००८ के अन्तिम परिणाम के बाद जो हुआ उसकी मिसाल तो सियासी इतिहास मे ढूढने से भी नही मिलेगी , जिस तरह भारत की सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद का त्याग किया था , उसके बाद लोकतान्त्रिक - इतिहास की दूसरी सबसे घटी - अमेरीकी सदर चुनाव के बाद अमेरीका की पूर्व प्रथम महिला द्वारा , अमेरीकी विदेश मंत्री का पद स्वीकार करना हैं .और वह इसलिए , महत्वपूर्ण घटना हैं कि ----
/ श्रीमती हिलेरी श्री ओबामा की प्रतिद्वंदी रही थी .और उन्होंने दल के अन्दर , राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए एडी - चोटी का जोर लगा दिया था .और उनके पास , पद को अस्वीकार करने का विकल्प था
/ श्री ओबामा ने शानदार जीत हासिल की थी , श्रीमती हिलेरी के एक बहुत कद्दावर महिला होने के बाबजूद भी उन्होंने , देश - हित को प्राथमिकता देते हुए पद का प्रस्ताव किया ।

श्री ओबामा के प्रस्ताव और श्रीमती हिलेरी के स्वीकरण ने लोकतान्त्रिक राजनीति को एक बहुत ऊचा मुकाम पर पहुचा दिया हैं जहा अंहकार के लिए कोई स्थान नही हैं .और ऐसा सिर्फ़ अमेरीका मे ही हो सकता हैं .

Wednesday, January 9, 2008

अमेरीका चुनाव २००८ और नारी की दावेदारी

अमेरीका के अगले सदर का चुनाव सर पर हैं । चुनावी क्स्रते पूरी रंगत के साथ परवान चढ़ रही हैं हजारो चुनावी मुद्दे हवाओ मे तैर रहे हैं .जो सबसे ज्यादा चर्चा मे हैं, उन मे सबसे अजीब मुद्दा हैं की "सदर के पद पर बैठने के लायक एक नारी हो सकती हैं या नही "? अगर यही बहस कही दूसरे देश मे चलती तों शायद "अमेरीकी जनमत उस बहस के मुद्दे से ही असहमत होता " , पर अमेरीका मे चल रही यह बहस पूरे संसार के लिए कौतुक इसलिए भी हैं की यह बहस उस देश मे चल रही हैं जहा का समाज और कानून नारी को पूरा मान और बराबरी देने का दावा करता हैं जोएक तरह से सच भी हैं ।पर जहा की औरते बगैर तनाव के समाज , देश ,संसार के कदम से कदम मिला कर चलती हो , हर तरह की जबाबदेही का बोझ बखूबी उठा सकती हो और उठा भी रही हो । उस देश मे जहा की औरते "सैली से सुनीता " तक धरती तों दूर आसमानों मे भी अपने देश की बुलंदी के झंडे बुलंद कर चुकी हो , पहले और दूसरे महायुद्ध के समय ही अपनी सेवा और चतुराई का लोहा मनवा चुकी हो, और सोने पर सुहागा यह कि , मैदान चाहे खेल का हो या कूटनीति का हर जगह अमेरीकन औरतो के जौहर के परचम लहरा रहे हो , उस देश मे किसी पद को लेकर सवाल उठे कि , नारी इस पद के लायक हैं या नही तों अचरज होना ही हैं !
मुद्दे तों चुनाव मे उठा ही करते हैं और बहुत हद तक उनका असर और रंग भी चुनाव के नतीजे पर नजर आता हैं पर " नर --नारी की समानता और हक़ को बहुत ही मजबूती से मानने और हवा " देने वाले देश मे उठा , यह मुद्दा कई मानो मे अलग हैं --खासतौर से तब - जब , यूरोप की लौह महिला मार्गरेट थैचर , पूरब की ताकतवर नारी मरहूम - इंदिरा गांघी और संसार मे मानवीय सेवा और कुर्बानी के लिए मशहूर मदर टेरेसा की मिसाले सामने हो और खुद अमेरीकी औरतो की तूती हर जगह बोल रही हो ऐसे हालत मे ऐसे मुद्दे और बहस उठ्ना अपने --आप मे संकेत हैं कि :------
अमेरीका के मतदाता इस बार बदलाव की राह पर हैं ।
२/नर , सत्ता की लगाम अपने हाथो मे थामे रहना चाहता हैं और समय के बदलाव के अंदेशे से भयभीत हैं ।
३/नारी की आजादी और ताकत अब नर समाज की जगह लेने पर आमादा हैं ।
४/अमेरीका मे औरतो को पूरी आजादी ,हक़ , मान और बराबरी देने के बाबजूद नर समाज , अंदर से इससे सहमत नही हैं और बदलाव की धारा को रोकना चाहता हैं ?
५/ नर और नारी उम्मीदवार एक दूसरे की काट के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल कर रहें हैं ।
६/ तख्त और ताज की राजनीती एक बेमानी बहस की जननी हैं ।जो अन्य ज्वलंत मुद्दों की सचाई की ओर जनता को जाने देने से रोकना चाहती हैं।
२००८ के अमेरिकन सदर के चुनाव मे नतीजा तों मतदाता तय करेगे पर यह भी तय हैं की इस चुनाव के बाद भी नर--नारी पर बहस थमेगी नही ,और इस बहस का और इसके नतीजे का एक गहरा असर , अमेरीका को पसंद करने वाले देशो मे देखने को मिलेगा और नर -नारी भेद की बहस नये मुकाम पर पहुचेगी । सच यह भी हैं की समाज और सभ्यता समय के साथ बदलती आयी हैं पर ये कोई नही कह सकता हैं कि , यही बदलाव का अंत हैं और सच ये भी हैं की बगैर परखे यह नही जाना जा सकता की यह सोना हैं या पीतल । जो भी हो अमेरीकी चुनाव का यह मुद्दा सालो - साल बहस और उदाहरण का मुद्दा बना रहेगा और आने वाले समय मे अमेरीका को नयी रंगत देने मे कामयाब होगा ।

Tuesday, December 25, 2007

THE PRESIDENT ELECTION U S A 2008

America ---a country,where the female riding in space from sally to sunita, with full confidence. without any social hesitation. a country where every body has a right to speak and hear , whole these is a great respect of civilization and humanity a country who know in world as a saver of home-values then it is wonder if this great country is debating now on its ,Presidencial election, That a female candidate will be an able America president or not?
American society always pay its respect, more then any other country to womans. participating with open heart .then why the knock of coming election this high cultured, educated and open minded society is debating that a woman be made president of America or not should ?This debate indexed that :--------
1/ Tendency of American votes to words changes.
2/American are trying to make great atmosphere area for woman candidates.
3/ The "man the best"thinking is going to change,and this factor man---power --politics in future.
4/ Though American society give its full honour to right of equality, but from inside this society has also hesitation about ability of woman.
Margret Thacher The iron lady of the west, Indira gandhi a strongest lady of The East."mother Teressa The devoted lady for all kind ofter these living example of woman abilities of our world. but debate on capabilety and ability between female & male is amazing .
There are also many American woman since first world war to space ,rider having set good example of their strength ability and capability and there are many example of woman who participating in all kind of occupation ,game, traveling skiing and diving and fighting on front, daring for rights and making their place among corporates only own self guts .taking risks for their family, busyness, career and politics without hesitation . if a debate like woman has ability being president is become a center point of debate in America then what will happen in other country`es who follow and accept the point of view of America with great praise.`
Who will be president of America in future off course This will be decided by American people but this issuing point of debate and its conclusion will effect the whole world view about woman,so this also responsibility of American people to save the agitation of man--woman. equality suppressed by thinkers and equality fighters for sac of mankind. if it not would be then the president. society return back to word the ancient age and old customs and tradition again.
Its also true that custom and civilization change their mode or heaved thousand of times but no body can say finally. That the gold is pure without testing on touchstone of time. but the substance of this debate will settle new direction of human kind.